राम मंदिर: अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्श - Dwarpal Sikar

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18 जून 2020

राम मंदिर: अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्श


अयोध्या का धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्श

राम मंदिर, अयोध्या का एक महत्वपूर्ण और धार्मिक स्थल है, जिसे हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण प्रतीक माना जाता है। यह जगह भगवान श्रीराम के जन्म स्थल के रूप में प्रसिद्ध है और यहाँ पर भगवान राम के भक्तों का आदर-सम्मान भी होता है। इस ब्लॉग पोस्ट में, हम राम मंदिर के महत्व, इतिहास, और इसके सांस्कृतिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे।
राम मंदिर अयोध्या में एक अत्यंत पुराना मंदिर है जो धार्मिक और सांस्कृतिक आदर्शों का उदाहरण है। इसके अत्यंत पुराने और प्राचीन निर्माण के कारण यह अयोध्या के लोगों के दिल का प्राण है। मंदिर में रामायण की पुरानी कथाओं के साथ राम और रावण का प्रतिक्रिया आदि दिखाई देता है। यह स्थापना सन् १८९२ में धरती में निकाला गया था। यह आदर्श मंदिर आज भी अयोध्या के दर्शनीय आकर्षण है।

यह मंदिर अयोध्या के बारे में अत्यंत पुराना है और इसे तीसरे शताब्दी के मध्य में निर्मित किया गया था। यह मंदिर आपृष्ठ पर स्थित है और यह आदर्श निर्माण का उदाहरण है जो आज भी अयोध्या के दर्शनीय आकर्षण है। मंदिर के आभूषणों और अन्य मूर्तियों से यह राम और रावण की पुरानी कथाओं को स्मरणीय बनाता है।

राम मंदिर का इतिहास

राम मंदिर का इतिहास सालों से उत्कृष्ट रूप से आजाद रहा है। यह भारतीय धर्म के सम्बन्ध में एक महत्त्वपूर्ण मंदिर है। यह हिंदू धर्म के आधार पर निर्मित एक अत्यंत प्रसिद्ध मंदिर है जो अपने स्वर्ण इतिहास और संस्कृति के माध्यम से दुनिया को अनुभव देता है।

भगवान श्रीराम का जन्म

काल गणना के अनुसार श्रीरामचन्द्र जी का प्रकाट्य त्रेतायुग में हुआ था, इसलिये द्वापर युग की आयु था कलयुग के 5100 वर्ष के योग के पहले ही श्रीरामचन्द्र जी का प्रकाट्य हुआ था अतः द्वापर की आयु 864000 वर्ष तथा 5100 वर्ष कलयुग लगभग 869100 वर्ष पहले त्रेतायुग था अतः श्रीरामसेतु का निर्माण 869100 वर्ष पहले ही हुआ था। गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की है।
राम मंदिर में राम के जन्म के सम्बंध में पुराने और ऐतिहासिक प्रमाणों का विवरण आता है। यह विवरण अधिकतर मंदिरों के साथ राम के जन्म के माहौल की स्थिति पर आधारित होता है। राम के जन्म के सम्बंध में यह जानकारी उत्तर और दक्षिण भारत में प्राचीन रही अनुसंधानों के आधार पर आती है।

मर्यादा पुरूषोत्तम, न्यायप्रिय श्री रामचन्द्र का इतिहास

श्रीराम और श्रीरामचन्द्र के उपनामों सुप्रसिद्ध भगवान श्री रामचन्द्र मुलतः भगवान विष्णु ही सातवें अवतार हैं। रामायण के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी राजा, चक्रवर्ती सम्राट दशरथ ने पुत्ररत्न प्राप्ति की कामना लेकर यज्ञ कराया, जिसके फलस्वरूप उनके चार पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ। इनमें श्रीराम जी सबसे बड़े पुत्र थे। श्रीराम की माता कौशल्या थी और इनका जन्म अयोध्या में हुआ था। इनका जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ। इस दिन श्रीराम जयंती या राम नवमी का पर्व मनाया जाता है।

अयोध्या और राम मंदिर के इतिहासिक महत्व

अयोध्या और राम मंदिर के इतिहासिक महत्व को भारत और दुनिया में लोकप्रियता प्राप्त हुई है। अयोध्या और राम मंदिर के इतिहासिक महत्व जो आज तक निरंतर बना हुआ है, वह अनन्त है। अयोध्या और राम मंदिर भारत के राजाओं के समय से ही महत्त्वपूर्ण प्राचीन स्थान रहे हैं।

अयोध्या और राम मंदिर के इतिहासिक महत्व को प्राचीन काल में जोर दिया गया था, वह आज तक निरंतर रहा है। ये मंदिर प्राचीन काल से ही मान्यता के अनुसार राम और अयोध्या के लिए हैं। अयोध्या मंदिर के निर्माण से पहले, यह स्थान पूर्वकालीन देवताओं के लिए मान्यता के अनुसार ही प्रसिद्ध था। अयोध्या और राम मंदिर के इतिहासिक महत्व को आज तक भारत में और दुनिया भर में लोकप्रियता प्राप्त हुई है।

मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम...

भारत में श्री राम अत्यंत पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा विश्व के कई देशों में भी श्रीराम आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं। इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। मर्यादा-पुरुषोत्तम राम, अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र थे। राम की पत्नी का नाम सीता था इनके तीन भाई थे- लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त माने जाते हैं। राम ने लंका के राजा रावण (जिसने अधर्म का पथ अपना लिया था) का वध किया। श्री राम की प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है।

राम मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थल भगवान श्रीराम के आदर्शों और उनके भक्ति के प्रतीक के रूप में हमें सदैव प्रेरित करता है, और भारतीय सांस्कृतिक सृजनात्मकता का प्रतीक बना रहता है।