द शौशैंक रिडम्पशन (1994) - जीवन के हर पहलू को छूती हुई घनघोर निराशा से लेकर आजादी के चमकते सूरज का सफर - Dwarpal Sikar

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26 जुलाई 2020

द शौशैंक रिडम्पशन (1994) - जीवन के हर पहलू को छूती हुई घनघोर निराशा से लेकर आजादी के चमकते सूरज का सफर

यदि आप किसी शानदार फिल्म देखने के लिए तलाश में है तो हाॅलीवुड की इस फिल्म को देखना कतई न भुले


रिलीज दिनांक - 20 अगस्त 1994 (आयरलैंड), निर्देशक - फ्राङ्‌क डाराबोन्ट, कहानीकार - स्टीफन किंग,
पटकथा - स्टीफन किंग, फ्राङ्‌क डाराबोन्ट, नामांकन - अकेडमी पुरस्कार - सर्वश्रेष्ठ पिक्चर

सन् 1994 में बनी फिल्म ‘‘द शौशैंक रिडम्पशन’’ हॉलीवुड सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। यह फिल्म जीवन के गहरे अर्थो से परिचित करवाती है। इस फिल्म को आपको एक बार जरूर देखनी ही चाहिए। कलाकार टिम रॉबिन्स और मॉर्गन फ्रीमन की बेहतरीन एक्टिंग इसकी कहानी में जान फुंक देती है। फिल्म की कहानी एक बैंकर की जो किसी वजह से अपनी पत्नी के हत्या के आरोप में अजीवन उम्रकैद की सजा के साथ जेल भेज दिया जाता है।

इसके बाद फिल्म की कहानी में एक आजाद और स्वछंद इंसान होता है, जो कि अपनी जिंदगी के हर फैसले खुद लेता रहा है और अचानक एक ऐसी प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है जिसमें उसकी हर चीज नियंत्रित होती है। यहां तक कि उसका उठना बैठना सोना खाना पीना नियन्त्रित होता है। वह अपनी मर्जी से कुछ भी नही कर पाता है। फिल्म की शुरुआत में फिल्म के नायक को जेल लेकर आते है और जेल का वार्डन और गार्ड कहते है कि “जब हम कहेंगे कि तुम खाओ तब तुम खाओगे ..जब हम कहेंगे कि तुम पियो तब तुम पियोगे”। तब अहसास होता है कि आजादी क्या होती है ? अपनी जिंदगी के अपनी रोज की दिनचर्या की छोटी-छोटी चीजो के फैसले लेना और आजाद महसूस करना क्या होता है ?
जेल की पहली रात ..अपनी सेल में बैठा हुआ फिल्म का नायक जब ये अहसास करता है कि उसकी जिंदगी में क्या हुआ है। जेल के घने अंधकार में वह महसूस करता है कि उसकी जिंदगी में सिवाय वक्त के और कुछ नही रहा। इसी पीड़ा को झेलते हुए वह सोचता है कि सारी जिंदगी ऐसी ही गुजर जाएगी।
अगर आप ये फिल्म देखेंगे तो यकीन करिए कि इस फिल्म के साथ-साथ आप भी जुड़ जाएंगे। आपको महसूस होगा कि वास्तव में उम्मीद क्या मतलब होती है। इंसानी जुनून और दोस्ती के सबसे गहरे मायने क्या होते है। आपको महसूस होगा कि चाहे कितना भी गंदा और खराब माहौल क्यों ना हो ये आप पर निर्भर करता है की आप क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करते है। कैसे अपने आप को भीड़ से अलग करते है, असीम धैर्य का क्या मतलब होता है। अपने लक्ष्य पर फोकस होना क्या होता है।
फिल्म दोस्ती के महत्व की शिक्षा देती है, की दोस्ती की परिभाषा क्या होती है। आप ये सीखेंगे की वास्तव में बुद्धिमान होने का अर्थ क्या होता है। आपकी जिंदगी में जब कोई उम्मीद बाकी ना रहे तब आप क्या और कैसे उम्मीद करेंगे। आप महसूस करेंगे कि कैसे अपने दिल के राज दिल मे रखे जाए. आप हर पल ये महसूस करेंगे कि अगर आपका बॉस मक्कार और धूर्त है तो कैसे आप उसका सामना करें।
इन सबके अलावा फिल्म का सस्पेंस आपको हिला देगा आप सोच भी नही सकते कि फिल्म का अंत ऐसा होगा। इंसान के उद्दाम और अनंत क्षमताओं तथा किसी भी परिस्थिति में हार ना मानने की शानदार कहानी, जीवन के हर पहलू को छूती हुई घनघोर निराशा से लेकर आजादी के चमकते सूरज का सफर ये फिल्म आपको 3 घंटे से कम समय मे कराती है। इसलिए आप इस फिल्म को एक बार जरूर देखें।