ट्रायकोडर्मा
फसलों को जीवाणुओं के द्वारा ही भोजन दिया जाता है फिर चाहे वह रासायनिक हो या आर्गनिक, जीवाणुओं के द्वारा ही मिलता है, इसका अर्थ यह है कि खेती तथा खेती की मिटटी के लिए जीवाणु अत्यन्त महत्वपूर्ण घटक हैं, लेकिन जीवाणुओं को जिन्दा रखने व उनकी संख्या बढ़ते रहने के लिए आक्सीजन भी बहुत जरुरी है. जब से खेती में रासायनिक खाद का उपयोग प्रारम्भ हुआ है, खाद में उपलब्ध साल्टी मटेरियल के कारण जीवाणुओं की संख्या लगातार कम होती गई और आक्सीजन के कम होने के कारण मिटटी कठोर बन गई। प्रकृति की स्वयंचलित व्यवस्था के अनुसार मिटटी में आक्सीजन समाप्त या कम से कम होते ही विषाणुओं की संख्या बढ़ने लगती है, जीवाणु हमारी फसलों को भोजन प्रदान करने में सहायता प्रदान करते हैं, परन्तु विषाणु हमारी फसलों की जड़ों से भोजन चुराने का काम करते हैं।
विषाणुओं की संख्या बढ़ने के साथ-साथ भोजन की चोरी बढ़ती जाती है, जैसे -जैसे भोजन की चोरी बढ़ती है, फसलों का कुपोषण होने लगता है, जिस प्रकार कमजोर मनुष्य बीमार पड़ता है, उसी प्रकार कुपोषित फसलों पर किटक तथा रोगों का अटेक बढ़ता है.। अतः इस समस्या पर एक ही उपाय है, ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट, अच्छी कंपनी का 1 किलो ट्रायकोडर्मा पावडर 250 रुपये तक मिलता है, कुछ किसान भाई एकड़ में 1 किलो तक इस्तेमाल करते हैं, जिसका अच्छा रिझल्ट नहीं मिलता। एकड़ में कम से कम ४० किलो ट्रायकोडर्मा डालने पर जबरदस्त रिझल्ट मिलता है, परन्तु बाजार से खरीदकर डालने में बहोत पैसा खर्च होगा, इसलिए हम आपको खेत में ट्रायकोडर्मा बनाने का तरीका बता रहे हैं, इसके अनुसार आप सिर्फ 40 रुपये में 1 एकड़ तक खेत को विषाणु मुक्त बना सकते हैं।
कैसे करें ट्रायकोडर्मा का उपयोग -
एक प्लास्टिक के 40 लीटर के ड्रम में जिस कुंवे का पानी इस्तेमाल हो रहा है, ऐसे कुंवे से ड्रम में पानी भर लें, उसमें 400 ग्राम गुड़ तथा 50 ग्राम या 100 ग्राम ट्रायकोडर्मा पावडर डालकर अच्छे से हलाएं, पूरा गुड़ पानी में मिल जाने तक हलाएं, फिर ढक्कन बंद कर दें।
दूसरे दिन ढक्कन खोलकर पानी को 5 मिनिट तक किसी काड़ी से हलाएं फिर ढक्कन बंद कर दें, ऐसा 4 से 7 दिन तक करें, ठंडी के दिनों में ड्रम को धूप में रखें तथा ज्यादा दिन तक रखें, गर्मी के सीजन में कम दिन में तैयार होता है, इसके बाद अगर बहता पानी दे रहे हों तब बहते पानी के साथ 20 लीटर ट्रायकोडर्मा दें, दूसरे पानी के समय 20 लीटर ट्रायकोडर्मा दें, अगर आप ड्रिप से पानी देते हैं तब 200 लीटर पानी में 10 लीटर ट्रायकोडर्मा मिलाकर 4 बार दें, इस प्रकार आप 40 रुपये के खर्च में 1 एकड़ क्षेत्र में ट्रीटमेंट कर सकते हैं.
जहाँ ड्रिप से पानी दिया जाता है वहां बरसात में दो बार २०-20 लीटर ट्रायकोडर्मा में आवश्यक मात्रा में पानी मिलाकर अच्छी बरसात हो जाने के बाद मिटटी में नमी रहने पर पुरे खेत की मिटटी पर छिड़काव करें इससे सम्पूर्ण खेत की मिटटी विषाणु मुक्त हो जायेगी.
ट्रीटमेंट दो या तीन साल करने से मिटटी पूरी तरह से विषाणु मुक्त हो जाएगी, मिटटी में कार्यरत सभी प्रकार के विषाणु ट्रायकोडर्मा से समाप्त हो जाते है।
आपके खेतों की मिटटी विषाणु मुक्त बन जाने से फसलों के भोजन की चोरी बंद होने से फसलों का कुपोषण रुक जाता है, फसलों को आवश्यकतानुरूप भोजन मिलने लगने से फसल बलवान बनती है, किटक तथा रोगों से मुक्त बनती है, उत्पादन बढ़कर मिलता है, फसल कोई भी लेना हो, ट्रायकोडर्मा ट्रीटमेंट जरूर करें, बाजार में नत्र,फास्फेट,पोटास,गंधक,लोह इत्यादि अनेक प्रकार के जीवाणु मिलते हैं, इनकी छोटी से छोटी पेकिंग लाकर आप इसी तरह से बनाकर डाल सकते हैं.