आस्था, अंधविश्वास और अवधारणाएं - Dwarpal Sikar

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11 जुलाई 2020

आस्था, अंधविश्वास और अवधारणाएं




हमारे समाजिक जीवन में बहुत सी अवधारणाएं है। कुछ अवधारणाएं बेतुकी होती है, जो कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से तर्कहीन होती है। जैसे कि जूते-चप्पल उल्टे हो जाने पर किसी से लड़ाई-झगड़ा होने की सम्भावना, अच्छे व बुरे सपने आने के संकेत। ऐसी अवधारणाए/मान्यताएं वैज्ञानिक तथ्य पर आधारित नहीं होती। ऐसी मान्यताएं व्यवहारिक जीवन में सहज ही स्वीकार कर ली जाती है। बिना किसी सोच-विचार के ऐसी मान्यताओं पर विष्वास करना ही अंधविष्वास कहलाता है। कुछ लोगों के लिए तो यह आस्था के रूप में होती है। भारत में अधिकांष जनता अंधविष्वासी बनी हुई है। हम वास्तविक सत्य को नहीं जानते इसलिए अंधविश्वासों के कारण वहम परस्त एवं निर्णयहीन बन जाते है।

ऐसे लोग अंधविश्वास को स्वीकार कर लेते है वे सदैव अपना जीवन डर के सायें व्यतीत करते है। परन्तु कुछ ऐसे लोग भी है जो अंधविष्वास को नहीं मानते ऐसे लोग साहसी लोग अपनी बुद्धि और समझ पर भरोसा करते हैं। ऐसे लोग भी है जिन्होंने किसी एक को अपना ईष्ट बना रखा है चाहे वह हनुमानजी हो या कालिका माता, राम हो या कृष्ण, शिव हो या विष्णु। कुछ मान्यताएं लोक-परंपरा और स्थानीय लोगों के अनुभवों पर होती है। अनुभव भी बहुत कुछ सिखाता है। ऐसी ही कुछ अंधविश्वास है जो आज भी हमारे समाज में प्रचलित है। तो आईए चर्चा करते हे कुछ अंधविष्वासों के बारें में जो हमारे जीवन को दिन प्रतिदिन प्रभावित करते हैं। -


जूते-चप्पल उल्टे होने पर किसी से लड़ाई-झगड़ा होने की संभावना

ऐसा माना जाता है कि घर के बारह रखे जूते या चप्पल यदि उल्टे हो जाएं तो उन्हें तुरंत सीधा कर देना चाहिए अन्यथा आपकी किसी से लड़ाई होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा होने से बचने के लिए चप्पल उल्टी हुई है तो एक चप्पल से दूसरी चप्पल को मारकर सीधा रखने का अंधविश्वास है। इसी तरह जूते के साथ भी किया जाता है।

जूते या चप्पल से नजर और अनहोनी से बचने का टोटका
कुछ लोग अपनी गाड़ी के पीछे निचले हिस्से में जूता लटका देते हैं। क्योंकि वे मानते हैं कि शनिवार को किसी मंदिर में चप्पल या जूते छोड़कर आ जाने से शनि का बुरा असर समाप्त हो जाता है।

 


स्वप्न से मिलने वाले शुभ और अशुभ संकेतों से सम्बन्धित अंधविष्वास

 कुछ लोग मानते है कि यदि रात में बुरे सपने आने से बुरा होता है और अच्छे सपने आने से अच्छा होता है। इसलिए कुछ लोग अपने सपनों से डरते हैं। ज्योतिष भी सपनों के शुभ और अशुभ फल बताते हैं। कुछ डरावनी किताबें भी लिखी गई हैं। लोग गीता पर कम, लेकिन उन डरावनी किताबों पर ज्यादा विश्वास करते है। यह अंधविश्वास लोगों के बीच बहुत प्रचलित है। वास्तव में सपने हमारे शरीर, मन और चित्त की अवस्था के अनुसार जन्म लेते हैं। यह एक मनोवैज्ञानिक विषय है, परन्तु सपनों से डरना तो मूर्खता है। सपने चित्त का विक्षेपण करते है।

सपने कई प्रकार के होते हैं। जो हमारे सम्बन्ध में बहुत कुछ बतलाते है, वे आपका आईना हैं। सपनों की एक खासियत है कि सपने भविष्य से भी अवगत कराते हैं। परन्तु कौन-सा सपना आपको भविष्य के बारे में बताता है, यह जानना अत्यन्त कठिन है। यदि आप ध्यानपूर्वक अपने सपनों के विषय में मनन करेंगें तो धीरे-धीरे आपके सामने यह स्पष्ट होने लगेगा कि कौन से सपने का संबंध किस चीज से है।

व्यक्ति को अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के सपने आते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार ये हमारे शरीर और मन की अवस्था के अनुसार आते हैं। यदि भारी और ठोस आहार खाया है तो बुरे सपने आने के चांस बढ़ जाते हैं। पेट खराब रहने की स्थिति में भी ऐसा होता है। यदि आपकी मानसिक स्थिति खराब है और नकारात्मक विचारों की अधिकता है, तब भी बुरे सपने आते हैं।


बिल्ली का रास्ता काटना, रोना और आपस में 2 बिल्लियों का झगड़ना

बिल्ली का रास्ता काटना अषुभ माना जाता है। मान्यता यह है कि बिल्ली की छठी इन्द्री मनुष्य की छठी इन्द्री से कहीं ज्यादा सक्रिय होती है इसलिए बिल्ली को अनहोनी का पूर्वाभास होने लगता है। इसमें कितनी सचाई है, यह शोध का विषय है।
काली बिल्ली का रास्ता काटना तब अशुभ माना जाता जब बिल्ली बाईं ओर रास्ता काटते हुए दाईं ओर मुड जाए। अन्य परिस्थितियों में बिल्ली का रास्ता काटना अशुभ नहीं मानते। जब काली बिल्ली रास्ता काटकर दूसरी ओर जाती है तो पीछे वह नेगेटिव ऊर्जा छोड़कर जाती है, और नेगेटिव उर्जा काफी देर तक उस जगह बनी रहती है। ये भी हो सकता है कि प्राचीनकाल के जानकारों के द्वारायह अंधविश्वास इसलिए फैलाया हो कि बिल्ली के रास्ता काटने पर अशुभ होता है।
बिल्ली के रोने की आवाज बहुत ही डरावनी होती है। निश्चित ही इसको सुनने से हमारे मन में भयभीत हो उठता है। मान्यता है कि बिल्ली के घर में आकर रोने से घर के किसी सदस्य की मौत होने की सम्भावना होती है अथवा कोई अनहोनी घटना होने की। बिल्लियों का आपस में लड़ना धनहानि और गृहक्लेष का संकेत है। यदि किसी के घर में बिल्लियां आपस में लडती हैं, तो मान्यता है कि शीघ्र ही घर में कलह उत्पन्न होने वाली है। जिससे धनहानि होने की सम्भावना होती है। इसी तरह दीपावली की रात घर में बल्लि आना शुभ शगुन होता है। बिल्ली के घर में बच्चे का जन्म होना भी अच्छा माना जाता है।

किसी शुभ कार्य से कहीं जाते समय बिल्ली के मुंह में मांस का टुकड़ा दिखाई देने पर कार्य की सफल का सूचक है। लाल किताब के अनुसार बिल्ली को राहु की सवारी कहा गया है। जिस जातक की कुंडली में राहु शुभ नहीं है उसे राहु के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए बल्ली पालना चाहिए। बिल्ली की जेर को लाल कपड़े में लपेटकर बाजू पर बांधने से कालसर्प दोष से बचाव होता है। ऊपरी चक्कर, नजर दोष, प्रेत बाधा इन सभी में बल्लिी की जेर बांधने से लाभ मिलता है।



 कुत्ता रोने पर अशुभ होने की मान्यता

कुत्ते के रोने पर अशुभ माना जाता है। यदि घर के सामने घर की ओर मुंह करके कोई कुत्ता रोए तो उस घर पर किसी प्रकार की विपत्ति आने की मान्यता है और घर में किसी सदस्य की मौत का सूचक है। घर के सामने सुबह के समय यदि कुत्ता रोए तो उस दिन कोई भी महत्वपूर्ण कार्य नहीं करना चाहिए। यदि किसी मकान की दीवार पर कुत्ता रोते हुए पंजा मारे तो उक्त घर में चोरी होने का सूचक है अन्यथा किसी अन्य तरह का संकट आने की सम्भावना है।
यदि कोई व्यक्ति अंतिम संस्कार से लौट रहा है और साथ में उसका कुत्ता भी आया है तो उस व्यक्ति की मृत्यु की आशंका रहती है या उसे कोई बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़ सकता है। मान्यता अनुसार पालतू कुत्ते के आंसू आए और वह भोजन करना त्याग दे तो उस घर पर संकट के बादल मंडराने का सूचक है।
घर से बाहर जाते समय यदि कोई पीछे से टोके या छींक दे तो जिस कार्य के लिए आप कहीं जा रहे हैं उस कार्य में असफलता ही मिलेगी। हालांकि किसी विशेष कार्य के लिए जाते समय गाय, बछड़ा, बैल, सुहागिन, मेहतर और चूड़ी पहनाने वाला दिखाई दे अथवा रास्ता काट जाए तो यह शुभ होता है। घर से बाहर निकलते वक्त दायां पैर पहले रखने से कार्य में सफलता के चांस बढ़ जाते हैं।

धन्यवाद !