रक्षा बंधन का अर्थ क्या है ?
भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी विश्वास का बन्धन है। रक्षा बंधन के दिन बहन अपने भाई को रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बाँधती है। जिसका अर्थ कि भाई अपनी बहन की विकट परिस्थिति में रक्षा का वचन देता है। यह भाई-बहन के अटुट प्रेम, समर्पण, निष्ठा व संकल्प के जरिए हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। रक्षाबन्धन बहन-भाई तक ही सीमित नहीं है, विपत्ति आने पर भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए और बहन की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिये वचन बद्ध रहता है। रक्षा-सूत्र (राखी) बहन अपने भाई को बांधती या भेजती है। भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि- ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’- अर्थात ‘सूत्र’ अविच्छिन्नता का प्रतीक है, क्योंकि सूत्र (धागा) बिखरे हुए मोतियों को अपने में पिरोकर एक माला के रूप में एकाकार बनाता है। माला के सूत्र की तरह रक्षा-सूत्र (राखी) भी लोगों को जोड़ता है। गीता में ही लिखा गया है कि जब संसार में नैतिक मूल्यों में कमी आने लगती है, तब ज्योतिर्लिंगम भगवान शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा धरती पर पवित्र धागे भेजते हैं, जिन्हें बहनें मंगलकामना करते हुए भाइयों को बाँधती हैं और भगवान शिव उन्हें नकारात्मक विचारों से दूर रखते हुए दुरूख और पीड़ा से निजात दिलाते हैं।
राखी कब तक बांधे रखी जाती है ?
रक्षाबंधन, सगे भाई बहन के अतिरिक्त अनेक भावनात्मक रिश्ते भी इस पर्व से बंधे होते हैं जो धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे हैं। यह पर्व आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मजबूती प्रदान करने का पर्व है। ब्राहमणों द्वारा अपने यजमानो को राखी बांधकर उनकी मंगलकामना की जाती है. इस दिन वेदपाठी ब्राह्मण यजुर्वेद का पाठ आरम्भ करते हैं इसलिए इस दिन शिक्षा का आरम्भ करना अच्छा माना जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन को एक बार कलाई पर बांधने के बाद तब तक नहीं खोलना चाहिए जब तक वो खुद ही न खुल जाए।
राखी किस हाथ में बांधी जाती है?
भाई की दाहिनी कलाई पर ही बहन को राखी बांधना चाहिए।माना जाता है कि शरीर का दाहिना हिस्सा पवित्र होता है। इसलिए धार्मिक कार्यों में सभी काम सीधे हाथ से ही किए जाते हैं। शरीर के दाहिने हिस्से में नियंत्रण शक्ति भी ज्यादा होती है। दाहिने हाथ को वर्तमान जीवन के कर्मों का हाथ भी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दाहिने हाथ से किए गए दान, धर्म को भगवान स्वीकार करते हैं इसलिए दायीं कलाई में राखी बांधने की परंपरा है।
क्या पति अपनी पत्नी को राखी बांध सकता है।
भविष्य पुराण में कहा गया है कि सिर्फ भाई-बहन या पति-पति ही रक्षा बंधन का त्योहार नहीं मना सकते हैं। आप जिसकी भी रक्षा एवं उन्नति की कामना रखते हैं, उसे रक्षा सूत्र बांध सकते हैं। इसलिए पुरोहित लोग आशीर्वाद वाचन के साथ अपने यजमान की कलाई में राखी बांधते हैं। इसके साथ ही वे एक मंत्र को पढ़ते हैं
श्येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां प्रतिबध्नामि, रक्षे! मा चल! मा चल!!
रक्षाबंधन की पौराणिक कहानी/कथा क्या है?
प्राचीन काल में राजा बलि देवताओं के स्वर्ग को जीतने के लिए यज्ञ कर रहा था। तब देवराज इंद्र ने विष्णुजी से प्रार्थना की कि वे राजा बलि से सभी देवताओं की रक्षा करें। इसके बाद श्रीहरि वामन अवतार लेकर एक ब्राह्मण के रूप में राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे। ब्राह्मण ने बलि से दान में तीन पग भूमि मांगी। बलि ने सोचा कि छोटा सा ब्राह्मण है, तीन पग में कितनी जमीन ले पाएगा। ऐसा सोचकर बलि ने वामन को तीन पग भूमि देने का वचन दे दिया।
ब्राह्मण वेष में श्रीहरि ने अपना कद बढ़ाना शुरू किया और एक पग में पूरी पृथ्वी नाप ली। दूसरे पग में पूरा ब्राह्मांड नाप लिया। इसके बाद ब्राह्मण ने बलि से पूछा कि अब मैं तीसरा पैर कहां रखूं? राजा बलि समझ गए कि ये सामान्य ब्राह्मण नहीं हैं। बलि ने तीसरा पैर रखने के लिए अपना सिर आगे कर दिया। ये देखकर वामन अवतार प्रसन्न हो गए और विष्णुजी के स्वरूप में आकर बलि से वरदान मांगने के लिए कहा।
राजा बलि ने भगवान विष्णु से कहा कि आप हमेशा मेरे साथ पाताल में रहें। भगवान ने ये स्वीकार कर लिया और राजा के साथ पाताल लोक चले गए। जब ये बात महालक्ष्मी को मालूम हुई तो वे भी पाताल लोक गईं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उसे भाई बना लिया। इसके बाद बलि ने देवी से उपहार मांगने के लिए कहा, तब लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को मांग लिया। राजा बलि ने अपनी बहन लक्ष्मी की बात मान ली और विष्णुजी को लौटा दिया।